पीसीओडी: आयुर्वेद क्या कहता है?



पीसीओडी: आयुर्वेद क्या कहता है?

आजकल बहुत सी बहनों को पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की परेशानी हो रही है। आसान भाषा में कहें तो यह महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है जिसमें अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं और पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं।

आयुर्वेद में पीसीओडी को 'कफ' और 'वात' दोषों के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है। हमारी बॉडी में तीन मुख्य ऊर्जाएं होती हैं - वात, पित्त और कफ। जब कफ दोष बढ़ जाता है, तो यह शरीर में भारीपन और अवरोध पैदा करता है, जो अंडाशय में सिस्ट बनने का कारण बन सकता है। वहीं, वात दोष के बिगड़ने से पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।

पीसीओडी के कुछ सामान्य लक्षण:

 * अनियमित पीरियड्स: यह पीसीओडी का सबसे आम लक्षण है। पीरियड्स या तो बहुत देर से आते हैं, बहुत जल्दी-जल्दी आते हैं, या कभी-कभी आते ही नहीं हैं।

 * भारी या कम ब्लीडिंग: कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है, जबकि कुछ को बहुत कम।

 * चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल (अतिरोमता): यह पुरुषों के पैटर्न में चेहरे, छाती, पेट और पीठ पर ज्यादा बाल उगने का कारण बन सकता है।

 * मुँहासे और तैलीय त्वचा: हार्मोनल बदलाव के कारण चेहरे और शरीर पर पिंपल्स और ऑयली स्किन की समस्या हो सकती है।

 * वजन बढ़ना: कुछ महिलाओं का वजन अचानक से बढ़ जाता है और उसे कम करना मुश्किल होता है।

 * बाल झड़ना: सिर के बाल पतले हो सकते हैं।

 * बांझपन: पीसीओडी वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है।

 * गर्दन और बगल में काले धब्बे (एकांथोसिस निग्रिकन्स): यह इंसुलिन प्रतिरोध का संकेत हो सकता है।

 * पेल्विक दर्द: कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

पीसीओडी होने के कुछ आम कारण:

 * गलत खानपान: बहुत ज्यादा मीठा, तला हुआ और जंक फूड खाना।

 * लाइफस्टाइल: देर रात तक जागना और दिन में सोना, कम शारीरिक गतिविधि करना।

 * तनाव: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव भी एक बड़ा कारण है।

 * आनुवंशिकता: परिवार में किसी को यह समस्या रही हो तो आपको भी हो सकती है।

आयुर्वेद में पीसीओडी का इलाज:

आयुर्वेद में पीसीओडी का इलाज पूरी तरह से नेचुरल होता है और इसमें आपकी जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना शामिल है। कुछ आसान उपाय जो आप घर पर कर सकती हैं:

 * सही खानपान: ताज़ा और पौष्टिक भोजन लें। हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और दालें अपनी डाइट में शामिल करें। मीठा, मैदा और तला हुआ खाना कम करें।

 * नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट योगा या एक्सरसाइज करें।

 * पर्याप्त नींद: रात को समय पर सोएं और कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।

 * तनाव कम करें: मेडिटेशन और प्राणायाम जैसी चीजें तनाव को कम करने में मदद करती हैं।

याद रखें: हर किसी की बॉडी अलग होती है, इसलिए किसी भी तरह की आयुर्वेदिक दवा या घरेलू उपाय करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह जरूर लें। वह आपकी प्रकृति और समस्या के अनुसार सही इलाज बता पाएंगे।

तो बहनों, स्वस्थ रहें और आयुर्वेद को अपनाएं! 😊

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आरोग्यम आयुर्वेदिक क्लीनिक

रुद्रपुर उत्तराखंड

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