सोरायसिस क्या हैं ? (आयुर्वेदिक दृष्टिकोण):
■सोरायसिस क्या हैं ? (आयुर्वेदिक दृष्टिकोण):
आयुर्वेद में सोरायसिस को 'किट्टीभ कुष्ठ' कहा जाता है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें त्वचा पर मोटी, लाल रंग की परतें बन जाती हैं, जिन पर सफेद या चाँदी के रंग के पपड़ीदार धब्बे होते हैं। ये धब्बे आमतौर पर कोहनी, घुटनों, खोपड़ी और कमर के निचले हिस्से पर दिखते हैं, लेकिन शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकते हैं। इनमें खुजली और दर्द भी हो सकता है।
●सोरायसिस के कारण:
आयुर्वेद मानता है कि सोरायसिस मुख्य रूप से शरीर में वात और कफ दोषों के असंतुलन के कारण होता है। इसके कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
* विरुद्ध आहार: ऐसे भोजन का सेवन करना जो एक साथ पचाने में मुश्किल हो, जैसे दूध और मछली, या दही को रात में खाना।
* अपाच्य भोजन: भारी, तैलीय और मसालेदार भोजन का अधिक सेवन करना जिससे पाचन ठीक से न हो पाए।
* तनाव: अधिक चिंता, तनाव और नकारात्मक भावनाएं वात दोष को बढ़ा सकती हैं, जो सोरायसिस को बढ़ावा देता है।
* मौसम: कुछ लोगों में, खासकर सर्दियों के दौरान, ठंडी और रूखी हवा के कारण यह समस्या बढ़ सकती है।
* आनुवंशिकता: परिवार में किसी को यह समस्या रही हो तो दूसरों को होने की संभावना बढ़ जाती है।
* शरीर की सफाई न होना: शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमा होना भी एक कारण माना जाता है।
* कुछ केमिकल्स और रेडिएशन के संपर्क में लंबे समय तक रहने पर भी इसके होने की संभावना बड़ जाती है।
●सोरायसिस के लक्षण:
सोरायसिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:
* त्वचा पर लाल रंग के उभरे हुए धब्बे, जिन पर सफेद या चाँदी जैसी पपड़ी होती है।
* खुजली, जलन या दर्द होना।
* नाखूनों में बदलाव आना, जैसे कि गड्ढे पड़ना या उनका मोटा होना।
* जोड़ों में दर्द और सूजन (सोरायटिक गठिया)।
* त्वचा का सूखा और फटा हुआ होना, जिससे खून भी निकल सकता है।
●सोरायसिस का आयुर्वेदिक उपचार:
आयुर्वेद में सोरायसिस का इलाज शरीर के दोषों को संतुलित करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने पर केंद्रित होता है। इसमें जीवनशैली में बदलाव, आहार में परिवर्तन और कुछ खास आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
* आहार:
* ताजा और आसानी से पचने वाला भोजन खाएं।
* हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें।
* खट्टे फल, दही, फर्मेंटेड फूड, और रात में दूध पीने से बचें।
* मसालेदार, तैलीय और जंक फूड से दूर रहें।
* पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल सकें।
* जीवनशैली:
* तनाव कम करने के लिए योग और मेडिटेशन करें।
* रोजाना सुबह खुली हवा में टहलें।
* गरम पानी से नहाएं और त्वचा को सूखा न रहने दें।
* धूप में कुछ समय बिताएं, लेकिन सीधी धूप से बचें।
* आयुर्वेदिक औषधियां: आयुर्वेदिक चिकित्सक आपकी प्रकृति और लक्षणों के अनुसार कुछ दवाएं दे सकते हैं, जिनमें नीम, हल्दी, गिलोय, मंजिष्ठा और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हो सकती हैं। लगाने के लिए तेल और लेप भी दिए जा सकते हैं।
* पंचकर्म: कुछ मामलों में, शरीर को शुद्ध करने के लिए वमन (उल्टी करवाना), विरेचन (दस्त करवाना) और रक्तमोक्षण (खून निकालना) जैसी पंचकर्म प्रक्रियाएं भी की जा सकती हैं, लेकिन यह हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
चिकित्सा के लिए संपर्क करें
आरोग्यम आयुर्वेदिक क्लीनिक
रुद्रपुर उत्तराखंड
8057518442
9410180920
यह ध्यान रखना जरूरी है कि सोरायसिस का इलाज लंबा चल सकता है और हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग तरीके काम कर सकते हैं। इसलिए, किसी भी तरह का इलाज शुरू करने से पहले एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
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