■ बवासीर ,Hemorrhoids,(Piles) क्या है?
बवासीर रोग (पाइल्स) में गुदा व मलाशय में मौजूद आसपास की नसों में सूजन आ जाती है। यह सूजन मलाशय के अंदर या गुदा के आसपास दिखाई दे सकती है। ऐसा आमतौर पर स्टूल पास करने के दौरान तनाव की वजह से होता है। बवासीर के प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि वह मलाशय के किस हिस्से में हुआ है।
अंदरूनी पाइल्स (Internal Piles) :
बवासीर का यह प्रकार मलाशय के अंदर विकसित होता है। अंदरूनी बवासीर (Internal Piles) सामान्य तौर पर कोई गंभीर स्थिति पैदा नहीं करता है लेकिन, कभी-कभी दर्द रहित ब्लीडिंग हो सकती है।
बाहरी बवासीर (External Piles) :
बवासीर का यह प्रकार मलाशय के ऊपर विकसित होता है। ऐसी बवासीर में दर्द के साथ खुजली भी होती है और कभी-कभी दरार और खून भी आ सकता है।
★बवासीर (Piles) कितनी सामान्य बीमारी है?
पाइल्स बहुत ही आम बीमारी है। 50 वर्ष की आयु वालों पर किए गए एक शोध में लगभग आधे लोगों में बवासीर की बीमारी थी। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करती है लेकिन, गर्भवती महिलाओं और पुरानी कब्ज या दस्त के रोगियों में यह अधिक पाई जाती है।
★बवासीर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Hemorrhoids)
◇बवासीर (Hemorrhoids) के सामान्य लक्षण हैं:
●स्टूल पास करने के दौरान ब्लीडिंग होना
●गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन
●स्टूल पास (मल त्याग) के दौरान दर्द और असुविधा
●गुदा के आसपास सूजन
●गुदा के पास एक संवेदनशील या दर्दनाक गांठ
ज्यादातर दर्द बाहरी बवासीर के कारण होता है। आंतरिक पाइल्स की वजह से आमतौर पर किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है।
हो सकता है ऊपर दिए गए लक्षणों में कुछ लक्षण शामिल न हो। यदि आपको किसी भी लक्षण के बारे में कोई चिंता है, तो हम से सलाह लें।
★ डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
-जब पाइल्स दर्दनाक हो और घरेलू उपचार काम न करे
-यदि मल का रंग काला हो
-मल में खून आए
-चक्कर आना
ये सब लक्षण बवासीर की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति की ओर संकेत करते हैं। अपनी तुरंत जांच करवाएं।
★ पाइल्स (Hemorrhoids) के क्या कारण हैं?
पाइल्स सूजन वाली नसों के कारण होता है, जो निचले मलाशय में बढ़े हुए दबाव से विकसित होती है। इस दबाव का कारण बनने वाले कारकों में ये मुख्य हो सकते हैं :
•मल त्याग के दौरान तनाव
•लंबे समय तक बैठे रहना
•पुरानी दस्त या कब्ज होना
•अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होना
•गर्भवती होने पर
•कम फाइबर वाला आहार लेना
★ बवासीर (Hemorrhoids) का खतरा किसे ज्यादा होता है?
ऐसी नौकरी, जिसमें लोग लंबे समय तक बैठे या खड़े रहते हैं
•पुराने दस्त या कब्ज
•प्रेग्नेंट होना
•एनल सेक्स (गुदा सेक्स)
•जिसके आहार में वसा अधिक और फाइबर कम होता है
•60 वर्ष से अधिक होने पर
पाइल्स दर्दनाक होने के अलावा शर्मनाक भी होती है। लोग आमतौर पर पाइल्स होने के बाद भी दूसरो को बताने में शर्म महसूस करते हैं। लेकिन बवासीर उन बीमारियों में से नहीं है, जो अपने आप ठीक हो जाएँ बल्कि इसके विपरीत ये और भी बदतर भी हो जाती है। तो जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज करना ज़रूरी होता है।
★ बवासीर की बीमारी में क्या खाएं (Your Diet During Piles or Hemorrhoids Disease)
बवासीर से पीड़ित होने पर आपका आहार ऐसा होना चाहिएः-
अनाज: गेहूं, जौ, शाली चावल।
दाल: मसूर दाल, मूंग, गेहूं, अरहर।
फल एवं सब्जियां: सहजन (शिग्रु), टिण्डा, जायफल, परवल, लहसुन, लौकी, तोरई, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, चौलाई, बथुआ, अमरूद, आँवला, पपीता, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, फाइबर युक्त फल– खीरा, गाजर, सेम, बीन्स।
अन्य: हल्का खाना, काला नमक, मट्ठा, ज्यादा पानी पीएं, जीरा, हल्दी, सौंफ, पुदीना, शहद, गेहूं का ज्वारा, पुनर्नवा, नींबू, हरड़, पंचकोल, हींग।
★ बवासीर की बीमारी में क्या ना खाएं (Food to Avoid in Piles Disease)
बवासीर रोग से ग्रस्त होने पर आपको इनका सेवन नहीं करना हैः-
अनाज: नया धान, मैदा।
दाल: उड़द दाल, काबुली चना, मटर, सोयाबीन, छोले।
फल एवं सब्जियां: आलू, शिमला, मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी (गुइया), भिंडी, जामुन, आड़ू ,कच्चा आम, केला, सभी मिर्च।
अन्य: तेल, गुड़, समोसा, पकोड़ी, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, अम्ल, कटु रस प्रधान वाले पदार्थ, सूखी सब्जियाँ, मालपुआ, ठण्डा खाना।
सख्त मना : तैलीय मसालेदार भोजन, मांसाहार, तैल, घी बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड, डिब्बाबंद भोजन।
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