●रिफाइंड तेलों का प्रयोग है हानिकारक





अक्‍सर लोंगो के घरों में पूड़ी-पराठे बनाने के लिये रिफाइंड तेल का प्रयोग होता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि यह तेल आपके सेहत के लिये कितना हानिकारक है।

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं? किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है।

हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्‍योंकि इसे तैयार करने के लिये ढेर सारे हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है। कास्‍टिक सोड़ा, फोसफेरिक एसीड, ब्लीचिंग क्लेंज मिला कर यह तेल तैयार किया जाता है।

◆रिफाइंड ऑयल के नुकसान


●नहीं मिल पाता फैटी एसिड

इससे शरीर को आवश्यक फैटी एसिड भी नहीं मिल पाते। जिससे आगे चलकर जोड़ों, त्वचा एवं अन्य अंगों संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती है। जबकि सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई शरीर को जरूरी फैटी एसिड प्रदान करती है।

●स्किन के लिए खतरनाक

रिफाइंड ऑयल को बनाने की प्रक्रिया में जरूरी चिकनाई निकल जाती है। जबकि आपकी स्किन के ग्‍लो को बनाए रखने के लिए यह चिकनाई जरूरी है। जिससे त्‍वचा में ड्राइनैस और झुर्रियां बढ़ जाती हैं। इससे एजिंग की रफ्तार भी तेज हो जाती है।

●बोन हेल्‍थ को पहुंचाते हैं नुकसान

रिफाइंड ऑयल का लंबे समय तक इस्‍तेमाल बोन हेल्‍थ को नुकसान पहुंचाता है। कई अध्‍ययनों में यह देखने में आया है कि जो लोग लंबे समय से इसका सेवन कर रहे हैं उनके घुटनों और अन्‍य जोड़ों में दर्द रहने लगता है। इससे अस्थि‍मज्‍जा को भी नुकसान पहुंचता है। रिफाइंड तेलों का प्रयोग नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि रिफाइनिंग की प्रक्रिया में तेल को अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता है। जिससे उनका क्षरण होता है और जहरीले पदार्थ पैदा होते हैं।

●पारं‍परिक तेल-घी हैं बेहतर

शोध के अनुसार खाना पकाने में सरसों तेल, नारियल तेल और घी, जैसे परंपरागत तेल ज्‍यादा बेहतर हैं। ये स्वास्थ्य लाभ के मामले में रिफाइंड’ और अन्य तेलों से बेहतर पाए गए हैं। संतृप्त वसा (जैसे घी, नारियल तेल) का प्रयोग करना इसलिए भी सही है क्योंकि वे तलने के दौरान तुलनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं।

अगर आपको स्‍वस्‍थ जिंदगी जीनी है तो, रिफाइंड तेल छोड़ घानी से निकला हुआ शुद्ध सरसों का तेल, तिल या मूंगफली का तेल ही खाइये।

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