फिस्टुला रोग: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण, कारण, लक्षण एवं प्राकृतिक उपचार


 



फिस्टुला रोग: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण, कारण, लक्षण एवं प्राकृतिक उपचार

फिस्टुला क्या है?
फिस्टुला एक असामान्य नली जैसी संरचना है जो गुदा (Anus) के अंदर से शुरू होकर गुदा के आसपास की त्वचा तक पहुंचती है। इस स्थिति में मवाद, पस, दर्द, असहजता, और कभी-कभी रक्तस्राव जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

आयुर्वेद में फिस्टुला को "भगंदर" कहा जाता है। प्राचीन ग्रंथों में इस रोग को आठ महागद (आठ बड़े रोगों) में से एक बताया गया है, क्योंकि इसका इलाज कभी-कभी जटिल हो सकता है।


🌿 फिस्टुला के मुख्य कारण (आयुर्वेद अनुसार)

आयुर्वेद के अनुसार फिस्टुला मुख्य रूप से अपथ्य आहार-विहार और मलावरोध (कब्ज) से उत्पन्न होता है। अन्य मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • बार-बार कब्ज और मल त्याग में जोर लगाना
  • मसालेदार, तले-भुने, गरिष्ठ आहार का अधिक सेवन
  • लंबे समय तक बैठना
  • गुदा क्षेत्र में पुराना संक्रमण या फोड़ा (अभिष्यंद)
  • शरीर में वात, पित्त व कफ दोष का असंतुलन

🔍 फिस्टुला के मुख्य लक्षण

  • गुदा के आसपास दर्द व सूजन
  • पस, मवाद या रक्तस्राव
  • गुदा के आसपास एक छोटा छेद दिखाई देना
  • कब्ज, मल त्याग में परेशानी
  • खुजली व जलन

🌿 आयुर्वेदिक उपचार (भगंदर चिकित्सा)

आयुर्वेद में फिस्टुला के लिए क्षारसूत्र चिकित्सा बहुत प्रसिद्ध है। क्षारसूत्र एक विशेष आयुर्वेदिक सूत्र है जो एक औषधीय धागा होता है। इस धागे को फिस्टुला ट्रैक्ट में पिरोया जाता है जिससे धीरे-धीरे गंदगी, मवाद निकलती है और अंदर से स्वस्थ ऊतकों का निर्माण होता है।

अन्य आयुर्वेदिक उपाय:

अग्निकर्म:
गुदा के अंदर व आसपास अग्निकर्म करने से विकृत ऊतक हटते हैं।

आयुर्वेदिक औषधियां:

  • त्रिफला चूर्ण
  • अभयारिष्ट
  • गंधक रसायन
  • आरोग्यवर्धिनी वटी
    ये सभी औषधियां कब्ज दूर करने, मवाद सुखाने और दोष संतुलन में सहायक हैं।

आहार-विहार:

  • रेशेदार भोजन (फल, हरी सब्जियां, सलाद)
  • पर्याप्त पानी पिएं
  • नियमित व्यायाम करें
  • तले-भुने व मसालेदार खाने से परहेज करें
  • कब्ज न होने दें

🔥 घर पर राहत के लिए टिप्स

  1. गर्म पानी से सेंक करें
  2. गुनगुना पानी में त्रिफला मिलाकर बैठें
  3. नियमित रूप से गुदा क्षेत्र की सफाई करें
  4. पेट को हमेशा साफ रखें

🏆 निष्कर्ष

फिस्टुला (भगंदर) एक जटिल रोग है, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका प्रभावी उपचार संभव है। क्षारसूत्र, पंचकर्म, हर्बल औषधियां और उचित जीवनशैली से इस रोग से निजात पाई जा सकती है।

यदि आप या आपके किसी परिचित को फिस्टुला से संबंधित परेशानी है, तो योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य करें।


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