बसंत ऋतुचर्या


           

                         समय- चैत्र बैशाख


       ■बसंत ऋतु में होने वाले राेेग -


●दमा

●खांसी

●बदन दर्द

●बुखार

●जी मिचलाना

●बैचेनी

●भारीपन

●भूख न लगना

●अफरा, पेट में गुड़गुड़ाहट

●कब्ज

●पेट में दर्द

●पेट में कीड़े आदि विकार होते है।



             ■पथ्य आहार-विहार



●पुराने जौ, गेंहू, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि धानों का आहार श्रेष्ठ है।

●मूंग, मसूर, अरहर एवं चने की दालें तथा मूली, घीय, गाजर, बथुआ, चौलाई, परवल, सरसों, मेथी, पालक, धनिया, अदरक आदि का सेवन हितकारी है।

●वमन, जलनेति, नस्य एवं कुंजल आदि हितकर है।

●परिश्रम, व्यायाम, उबटन और आंखों में अंजन का प्रयोग हितकर है।

●शरीर पर चंदन, अगर आदि का लेप लाभदायक है।

●शहद के साथ हरड़, प्रातःकालीन हवा का सेवन, सूर्योदय के पहले उठकर योगासन करना एवं मालिश करना हितकर है।

            ■अपथ्य आहार-विहार


●नया अन्न,

● ठण्डे एवं चिकनाई युक्त, भारी, खट्टे एवं मीठे आहार

●द्रव्य,

●दही,

●उड़द,

●आलू,

●प्याज,

●गन्ना

● नया गुड़,

●भैंस का दूध एवं सिंघाड़े का सेवन अहितकर है।

●दिन में सोना,

●एक साथ लम्बे समय तक बैठना अहितकर है।


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